Wednesday, May 9, 2018

हर सांस में कई सांस और भी है...


इन मुश्किलों के आगे जहाँ और भी है
इस काली रात में चमकते सितारे और भी हैं,
आप याद रखना उन पलों को जो है जीने का ज़रिया,
अभी ज़िंदा रहने के लिए, हर सांस में कई सांस और भी है!!!

हाथ की लकीरें हैं आज उलझनों से भरीं,
लेकिन कदम अभी भी डगमगाए नहीं हैं,
उस हिम्मत और होंसले को कैसे जाने दें
अभी ज़िंदा रहने के लिए, हर सांस में कई सांस और भी है!!!

ठोकर खायी है ज़रूर लेकिन हारे नहीं हैं,
उस घने पेड़ से पूछो जिसने हर तूफ़ान को झेला है,
मीठे फल और महकते फूल भले ही छोड़ जाएं,
छोड़ती नहीं हैं यह जड़ें जिनमे सारी जान बाकी है,
अभी ज़िंदा रहने के लिए, हर सांस में कई सांस बाकी है!!!


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